अपने रूप पर इतना गुरूर ना कर सब दो दिन की मस्ती है, तेरा रूप भी तब तक सलामत है, जब तक fair and lovely सस्ती है.
गुरू जी नमस्ते! पहचाना..?? मैँ आपका शिष्य कल्लू बोल रहा हूँ। अरे ! कल्लू कैसे हो तुम ?? आज इतने सालो बाद… मेरी याद कैसे आ गई ?? … और मेरा फोन नम्बर कैसे मिल गया?? गुरूजी ! फोन नम्बर ढ़ुंढ़ना कौन सा मुश्किल था ? जब प्यासे को प्यास लगती है तो जलस्रोत ढ़ुंढ़ ही लेता है। … दरअसल गुरू जी हमने एक नया रोजगार शुरू किया है। … और आपने बचपन मेँ कहा था की जब भी कोई काम शुरू करना हमसे उदघाटन जरूर कराना। तो हम अपने काम का उदघाटन आपसे ही कराना चाहते है। अतिसुन्दर ! वत्स। बताओ कहाँ आना है उदघाटनके लिये हमेँ ? गुरूजी ! आप पुराने खंडहर के पास चार लाख रूपया लेके आ जाईये। .. आपका ‘छोटूवा’ हमरे कब्जे मेँ है। आज से ही ‘अपरहण’ का धंधा चालू किया तो सोचा की ‘उदघाटन’ आपके शुभ हाथो से ही हो।
ये जो काला चश्मा लगा कर लड़कियों के अंदेर तक झाँकते हो ना बेटा, मस्तराम कि कहानियों में इसे ही हैवानियत बताया गया है|
कभी सुना है कि किसी मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने पर उसे बधाई दी जाए.मोदी जी भी ना मस्ती करने का कोई मौका नही छोड़ते.
लड़की: कुछ रोमांटिक बात करो ना! लड़का: तेरी आँखों की ये नमकीन मस्तियाँ... लड़की: चुप बे, हल्दीराम की औलाद!
दिवाली आई, मस्ती छाई, रंगी रंगोली, दीप जलाये, धूम धड़ाका, छोड़ा पटाखा, जली फुलझड़ियाँ, सबको भाए! शुभ दीपावली!